वो मेरा हमसफर भी था वो मेरा राहगुजर भी था Admin सफर शायरी हिंदी, दर्द << ऐसा तल्ख़ जवाबे-वफ़ा पहली ह... उसका सपना ही देखा था मेने... >> वो मेरा हमसफर भी था वो मेरा राहगुजर भी था,मंजिलें ही एक न थीं, दरमियाँ ये फासला भी था। Share on: