ये जुगनुओं से भरा आस्माँ जहाँ तक है Admin दर्द भरा शायरी, दर्द << वो वक़्त वो लम्हे कुछ अजी... टूटेंगे नहीं उम्मीद के ता... >> ये जुगनुओं से भरा आस्माँ जहाँ तक है,वहाँ तलक तेरी नज़रों का *इक़्तिदार चले।यही तो इक तमन्ना है इस मुसाफ़िर की,जो तुम नहीं तो सफ़र में तुम्हारा प्यार चले....(इक़्तिदार= प्रभुत्व) Share on: