बस यहीं तक ये सफ़र था लोगों । बस इसी बात का डर था लोगों ।। मैं Admin प्रेम << सर झुकाओगे तो पत्थर देवता... "बांटनी है अगर बांट लो हर... >> बस यहीं तक ये सफ़र था लोगों ।बस इसी बात का डर था लोगों ।।मैं इसे अपनी मिलकियत समझ बेठी थी ।मगर जिस्म किराये का घर था लोगों ।। Share on: