बिछड़ के तुझ से किसी दूसरे पे मरना है ये तजरबे भी इसी ज़िंदगी में करना Admin खता पर शायरी, प्रेम << ऐ दिल मत कर इतनी मोहब्बत ... "कोई मिलता ही नही हमसे हम... >> बिछड़ के तुझ से किसी दूसरे पे मरना हैये तजरबे भी इसी ज़िंदगी में करना हैहवा दरख़्तों से कहती है दुख के लहजे मेंअभी मुझे कई सहराओं से गुज़रना हैमैं मंज़रों के घनेपन से ख़ौफ़ खाता हूँफ़ना को दस्त-ए-मोहब्बत यहाँ भी धरना है Share on: