इफ़लास का सूरज चढता ही जाएगा मुफ़लिस ज़मीन भीतर गड़ता ही जाएगा ये ज़िन्दगी एक बोझ की Admin ज़िन्दगी और मौत शायरी, प्रेम << बहाना कोइ और ना बनाओ मुझस... कदम दर कदम भरोसा टूटता रह... >> इफ़लास का सूरज चढता ही जाएगामुफ़लिस ज़मीन भीतर गड़ता ही जाएगाये ज़िन्दगी एक बोझ की तरह से है जनाबजितना भी ढोते जाओगे बढता ही जाएगा- काव्य मोती संग्रह Share on: