हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी… Admin हिन्दी जख्मी शायरी, प्रेम << वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे... तुमने कहा था आँख भर के दे... >> हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खताथी…..लकीरों को मिटाना चाहा किसीको पाने की खातिर…. Share on: