होठों की ख़ामोशी लिखूँ या अंतर की आवाज़ लिखूँ मैं Admin देश भक्ति गीत शायरी, प्रेम << देख के मेरे महबूब का चेहर... रस्मों रिवाज की जो परवाह ... >> होठों की ख़ामोशी लिखूँ या अंतर की आवाज़ लिखूँ मैं..अंजाम लिखूँ इश्क का या मुहब्बत का आगाज़ लिखूँ मैंगीत लिखूँ मिलन के या जुदाई के अल्फाज़ लिखूँ मैं....बिखरे हुए सुरों से कैसे कोई नया साज़ लिखूँ मैं..... Share on: