कभी नाम तेरा लबों पर जो आया खुदा जाने मैं क्यों जरा मुस्कुराया घर से मैं Admin मुस्कुराना शायरी, प्रेम << आँखों में काजल लगा के निक... इतनी बेचैनी से तुमको किसक... >> कभी नाम तेरा लबों पर जो आया खुदा जाने मैं क्यों जरा मुस्कुरायाघर से मैं नजरें झुकाए चला था तेरी गली में ही ये सर था उठायाकली न खिली थी कभी मेरे दिल में गुलाबों को तूने ही मुझमें खिलायामुहब्बत का पैगाम मुझको मिला था तेरे खत ने हमको इतना पढ़ाया Share on: