क्या माँझी Admin मांझी शायरी, प्रेम << ये नजदीकियाँ हमें तबाह ना... वो तो पानी की बूँद है जो ... >> क्या माँझी, क्या पतवार...मझधार में कश्ती को, बस किनारों की दरकारमुहब्बत एक दरिया गहरा...जो डूबा सो डूबा, जो पार सो पार... Share on: