मैं खुद नहीं जानता कि वो कौन है कहाँ है Admin हकीकत पर शायरी, प्रेम << पाकर मैं तुझे पा गयी दो ज... ऐ ख़ुदा बस इतनी सी बरकत र... >> मैं खुद नहीं जानता कि वो कौन है कहाँ है,जाने कब से वो मेरे ख़्वाबो में बसी कल्पना है !बस इसी उम्मीद में जिए जा रहा हूँ हर दिन,कि कभी न कभी तो मुझे उस हकीकत से मिलना है ! Share on: