मेरी मंज़िल मेरी हद । Admin मंज़िल शायरी, प्रेम << ना मैं तुमसे मिला मेरे सारे “कसूरों” पर भार... >> मेरी मंज़िल मेरी हद ।बस तुमसे तुम तक ।।ये फ़क्र है कि तुम मेरे हो ।पर फ़िक्र है कि कब तक ।। Share on: