मुद्दत का सफर भी था और बरसों की चाहत भी थी Admin सफर शायरी हिंदी, प्रेम << कोई रो कर दिल बहलाता है कागज की कश्ती में डूबकी ल... >> मुद्दत का सफर भी था और बरसों की चाहत भी थी,रुकते तो बिखर जाते और चलते तो दिल टूट जाते,यूं समझ लो कि,लगी प्यास गज़ब की थी और पानी में भी जहर था,पीते तो मर जाते और न पीते तो भी मर जाते। Share on: