मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना Admin दोस्तो की शेरो शायरी, प्रेम << किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं... कितने अजीज हो तुम्हें ये ... >> मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नएकिस्से लिखना,मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िलसजाना सीख लो। Share on: