ना जाने वक़्त के साथ ये क्या हो जाता है Admin नया सवेरा शायरी, प्रेम << खुदा ने काश मोहब्त बनायीं... चाँद से प्यारा कोई तारा न... >> ना जाने वक़्त के साथ ये क्या हो जाता है,कभी हस्ती खेलती ज़िंदगी भी आम हो जाता है,एक सवेरा था जब हसकर उठते थे हम,आज बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाता है। …! Share on: