नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है Admin नफरत शायरी हिन्दी, प्रेम << मेरे शब्दों में एक कशिश स... प्यार दिलसे निभाएंगे हम >> नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है....लोग "रूलाना" नहीं छोडते...और ज़िंदादिल "हसना" नहीं छोडते... Share on: