आंखों के हर कतरे का बोझ उठाता था Admin बेवफा शायरी इमेज हद, बेवफ़ाई << बेवफाओं की दुनिया से लफ्ज... जख्म जब मेरे सीने के भर ज... >> आंखों के हर कतरे का बोझ उठाता था, उठाता हूँ और उठाता रहूँगा ।मगर आंसुओं को ना कभी बेवफा कहूँगा ।इस जन्म का जो कर्ज है अगले जन्म में जरूर बगैर कर्ज मुस्कराउंगा । Share on: