![](http://cdn.pagalshayari.com/images/FB/dekhen-ki-jamane-men-kya-gul-khilate-hain-ham-ab-tak-to-dard-ko-hi-ugate-bevafai-hindi-shayari.jpg)
देखें कि जमाने में क्या गुल खिलाते हैं हमअब तक तो दर्द को ही उगाते रहे हैं हमकश्ती के मरासिम से दरिया में आ गएवरना किनारों से ही दिल लगाते रहे हैं हममुहब्बत की आग में जो जलके खाक हो चुकेउनमें भी कुछ धुएं को जगाते रहे हैं हमनहीं जानता बेवफाओं से क्या रिश्ता हमाराअब तक तो उनसे फासले बनाते रहे हैं हम