जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी Admin जख्मी शायरी, बेवफ़ाई << उन्होंने हमें आजमाकर देख ... बिछड़ के तुमसे ज़िन्दगी सज़ा... >> जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी,रुला कर मुस्कुरानेँ की आदत है उसकी,मिलेगेँ कभी तोँ खुब रूलायेँ उसको,सुना है रोतेँ हूऐ लिपट जाने की आदत है उसकी. Share on: