न जीतने की जिद ही थी, न हारने का सवाल थामुझे जिंदगी में हर कदम पर मौत का खयाल थाकिसको कहूं और क्या कहूं, फिर सोचता हूं क्यूं कहूंयहां दोस्त हैं कई मगर, हमराज का अकाल थाखुलते गए मेरे सामने दरवाजों में लगे आईऩेदेखा कि उस मकान में हर अक्स बदहाल थाआंखों में जिनके बस गई दुनिया भर की रौनकेंवो शख्स बेवफाई का एक जिंदा मिसाल था