रस्मे उल्फत को निभाए तो निभाए कैसे Admin भाई भाई की शायरी, बेवफ़ाई << मेरे दिल की दुनिया पे तेर... तुझे तो हमारी मोहब्बत ने ... >> रस्मे उल्फत को निभाए तो निभाए कैसे,हरतरफ आग है ,दामन को बचाए कैसे।बोझ होता जो गमों का तो उठा भी लेते,जिंदगी बोझ बनी तो फिर उठाए कैसे। Share on: