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बा खुदा वो तुम ही हो, जिसे देखा था ख़ाब मेँ,माहजबीं वो तुम हो,जिसे देखा महताब में।कितना छुपालो तुम ख़ुदको,मुझसे छुप ना पाओगी,चाहे जाओ तुम जिधर, मझको नजरतुम आओगी।बा खुदा वो तुम ही हो, देखा जिसे नक़ाब मे।ऊपर वाले ने तुम्हे, फुर्सत से बनाया है,खूबसरती देके तुम्हे, बेशूमार सजाया है।बा खुदा वो तुम ही हो, देखा जिसे हिजाब मे।आँखों में तेरी नशा,बातों मेँ तेरी नशा।,ये दमकता सा चेहेरा,पुरे बदन मे है नशा।बा खुदा वो तुम ही हो, देखा जिसे शराब मेँ।