मयखाने सजे थे Admin अरमानो की शायरी, शराब << न गुल खिले हैं न उन से मि... नशा हम करते हैं >> मयखाने सजे थे, जाम का था दौरजाम में क्या था, ये किसने किया गौरजाम में गम था मेरे अरमानों काऔर सब कह रहे थे एक और एक और। Share on: