जब भी उमड़े हैँ सैलाब तेरे तसव्वुर के Admin साकी और शराब << लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी ... ना बात कर पीने पिलाने की >> जब भी उमड़े हैँ सैलाब तेरे तसव्वुर के,मयख़ाना गवाह है कैसे हर जाम बेअसर हुआ है! Share on: