गिरता जाता है चेहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्ता फ़ना शायरी इन हिंदी लैंग्वेज, हुस्न << बहुत तारीफ करता था मैं उस... खुद न छुपा सके वो अपना चे... >> गिरता जाता है चेहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्तानिकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता! Share on: