I गम की एक दीवार खड़ी है एक कमसिन बेजार खड़ी है चांद ने मुड़के कभी ना Admin यारो की यारी शायरी, हुस्न << दिल ने फिर याद किया बर्क़... चुप ना होगी हवा भी >> I गम की एक दीवार खड़ी हैएक कमसिन बेजार खड़ी हैचांद ने मुड़के कभी ना देखाआज अमावस की घड़ी हैशोला भी एक बर्फ है यारोंबर्फ में भी आग पड़ी हैइश्क का है एक तजरबाहुस्न भी एक चीज बुरी है Share on: