आँख से अंधे को दुनिया नहीं दिखती Admin चाणक्य हिंदी शायरी, अन्य << सुबह में कोई मेरा संदेश आ... उनका शोलों से दोस्ताना है >> आँख से अंधे को दुनिया नहीं दिखती.काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता.मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दीखता.औस्वार्थी को कही भी दोष नहीं दिखता.:-चाणक्य.शुभप्रभात आपका दिन शुभ और मंगलमय रहे. Share on: