राहो में निकले तो रास्ता विरान था Admin शायरी कब्र पर, अन्य << अच्छी सीरत को देखता कौन ह... इसे इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे... >> राहो में निकले तो रास्ता विरान थाएक तरफ़ आबादी एक तरफ़ कब्रिस्तान थाहर वीरान कब्र का यहीं बयान थादेख के चल मुसाफ़िर कभी मैं भी इन्सान था। Share on: