रोज़ की तरह आज भी तारे Admin नई सुबह शायरी, अन्य << मोहब्बत भी ठंड जैसी है तेरे बिना जीना मुश्किल हे >> रोज़ की तरह आज भी तारे,सुबह की गर्द में न खो जाएँचल मेरी तन्हाई हम दोनों मिलकर एक रात तो सो जाएँ Share on: