अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे बे-हिस बना चुकी है बहुत Admin इश्क << हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म ... तुम बताओ तो मुझे किस बात ... >> अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझेबे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझेवो वक़्त भी ख़ुदा न दिखाए कभी मुझेउन की नदामतों पे हो शर्मिंदगी मुझे Share on: