तेरे लिए तो हूँ मैं बस वक़्त का एक बुलबुला Admin इश्क << दस्तूर के लिखें पर टिकना मेरे यूँ चुप रहने से नारा... >> तेरे लिए तो हूँ मैं बस वक़्त का एक बुलबुला,जितना जीना था जी लिया, लो अब मैं चला |तुझे याद करता हूँ तो बढ़ जाती है तकलीफ़ें,ऐ ज़िन्दगी तू यहीं ठहर, लो अब मैं चला | Share on: