दस्तूर के लिखें पर टिकना Admin अलविदा दोस्तो शायरी, इश्क << तुम बताओ तो मुझे किस बात ... तेरे लिए तो हूँ मैं बस वक़... >> दस्तूर के लिखें पर टिकना, मुनासिब नहीं दोस्तों..ये अक्सर मौके कम.. और धौके ज़्यादा देता है। Share on: