तुझ से बिछड़ के दर्द तेरा हम-सफ़र रहा जुदाई << इक उम्र हुई और मैं अपने स... धूप बढ़ते ही जुदा हो जाएग... >> तुझ से बिछड़ के दर्द तेरा हम-सफ़र रहामैं राह-ए-आरज़ू में अकेला कभी न था! Share on: