आज की रोती हुई इस रात पे मत जाना,वक़्त की बख्शी इस सौगात पे मत जाना,कुछ साकिन से वसूल हैं अपने भी,तुम आज के मेरे हालात पे मत जाना,दिल पे रख के हाथ पूछना भी कभी,लोगों से सुनी हर बात पे मत जाना,बंद परिंदे मैं उड़ा देता हु क़फ़स से,मेरी सैयद की ज़ात पे मत जाना