चीखें भी यहाँ गौर से सुनता नहीं कोई Admin दर्द << कहाँ वो शोख़ हाथों में जाम है और शामें... >> चीखें भी यहाँ गौर से सुनता नहीं कोईअरे, किस शहर में तुम शेर सुनाने चले आये! Share on: