हाथों में जाम है और शामें गुजरती मयखानों में उतर आयी हो जिंदगी जैसे चंद पैमानों Admin जिंदगी और शायरी, दर्द << चीखें भी यहाँ गौर से सुनत... ख्वाब भी अब चुनकर देखता ह... >> हाथों में जाम है और शामें गुजरती मयखानों मेंउतर आयी हो जिंदगी जैसे चंद पैमानों में......सोचा था चर्चे होंगे हमारे भी अफसानों मेंजिक्र होकर रह गए मगर बस तेरे दीवानों में... Share on: