हमारे दरमियाँ ये दूरियां ना होती Admin रस्म शायरी, दर्द << टुट जाये ख्वाब तो जुङने क... दो कदम तो सब चल लेते हैं ... >> हमारे दरमियाँ ये दूरियां ना होती,गर कुछ मेरी मजबूरियाँ ना होती,रहते ना यूं मेरे हाथ खाली,गर रस्मों की ये बेड़ियाँ ना होती। Share on: