सांस रुक जाए मगर आंखें कभी बंद न हो मौत आए भी तो तुझे देखने की Admin जख्मी शायरी, दर्द << सपना क्या है कैसे मान लूँ की तू पल पल ... >> सांस रुक जाए मगर आंखें कभी बंद न होमौत आए भी तो तुझे देखने की जिद खत्म न होदर्द उठता है तो बस ये ही दुआ करता हूंतेरे दिल में मेरे खातिर कोई भी जख्म न हो Share on: