उस पथ से क्यों चलता हे तू

उस पथ से क्यों चलता हे तू, जहा से तेरी मंजिल नहीं
क्यों उसकी यादो में मरता हे, जो तुझे हासिल नहीं ….

पथ से भटककर गम गले लगता क्यों हे
राह अनजान पे चलता जाता क्यों है …

वीरानियो से भगा तन्हाई मिली
पथ से भटका खायी ………… मिली
हर बार प्यार में तन्हाई मिली
वफ़ा के ना पे हमेशा रुश्वाई मिली

गम से दोस्ती हुई मुकद्दर से दुश्मनी
जब भी प्यार किया बुझ गयी सारी रौशनी

महफ़िल में अकेला बैठ महसूस किया हे हमने
इससे कही अच्छी हालत पहले थी …………

यही ख्याल आता हे अब तो ख्याल जहन में ….
हालत बदलने में हमने हालात बदल दी
प्यार का खुदा बनाया उनको तो उसने चाहत बदल दी

कसक प्यार की छुपाये हुए
नजरो में उम्मीद बसाये हुए
इंतजार में उनके हम बैठे थे
और वो चुपके से गुजर गए पल्लू से सर छुपाये हुए ………

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