कदम दर कदम भरोसा टूटता रहा यार जो बना Admin रूठना मनाना शायरी, प्रेम << इफ़लास का सूरज चढता ही जा... तेरी खुशी से अगर गम मे भी... >> कदम दर कदम भरोसा टूटता रहायार जो बना, वह फिर रूठता रहा।मगर फिर भी ख्यालात नहीं बदलतेभले ही हमारे सपनों का घड़ा फूटता रहाहमारे हाथ की लकीरों में नहीं था भरोसा पानाकोई तो है जो निभाने के लिए जूझता रहा। Share on: