पहली मोहब्बत थी मेरी हम ये जान न सके प्रेम << हुस्न और खुशबु का सबब हो ... जीने की उसने हमे नई अदा द... >> पहली मोहब्बत थी मेरी हम ये जान न सकेप्यार क्या होता है वो पहचान न सकेहमने उन्हें दिल में बसाया है इस कदर किजब भी चाहा दिल से हम उसे निकाल न सके। Share on: