चुपचाप चल रहे थे ज़िन्दगी के सफर में तुम बदल गए शायरी, हुस्न << कैसे लफ्जों में बयां करूँ... हुजूर लाजमी है महफिलों मे... >> चुपचाप चल रहे थे ज़िन्दगी के सफर मेंतुम पर नज़र पड़ी और गुमराह हो गए! Share on: