बिखरे थे जो अल्फ़ाज इस कायनात में Admin पन्ने शायरी, Dard << जाने क्यूँ आजकल ना रोक कलम मुझे दर्द लिखन... >> बिखरे थे जो अल्फ़ाज इस कायनात मेंसमेंटा है उन्हें चंद पन्नों की किताब मेंअब दुआ नहीं मांगता बस पूंछता हुं खुदा सेअभी कितनी सांसे और हैं हिसाब में..?? Share on: