इक चुस्की तुम भी ले लो प्यार की,
इक चुस्की का लुत्फ मैं भी उठा लू..
गर्म आंच पर रखा है दिल का बर्तन,
तपता है और ये प्यार उबाल रहा है.
तेरी आवाज़ की मिश्री घोल दू इसमें,
और हमारी यादों की पत्ती भी मिला लू.
उन रातों की ख़ामोशी का स्वाद डाल दू,
और शिकायतों की चादर भी अलग छान लू.
लो तैयार हो गयी " इश्क़ वाली चाय".
इक चुस्की तुम भी ले लो प्यार की,
इक चुस्की का लुत्फ मैं भी उठा लू.