मैं कभी “बुरा” नहीं था Admin सच झूठ शायरी, Dard << तेरे ही नाम से ज़ाना जाता... बहुत अच्छा नसीब है मेरे द... >> मैं कभी “बुरा” नहीं था,पर उसनें मुझे “बुरा” कह दिया,फिर मैं “बुरा” बन गया, ताकि उसे कोई “झूठा” न कह दे..। Share on: