चूम कर तुम अगर जबीं जाते फिर बला से मिरी कहीं जाते तुम से बिछड़े तो फिर खुला हम पर लोग बिछ्ड़ें तो मर नहीं जाते आते आते क़रार आता है जाते जाते हैं कुछ यक़ीं जाते जिन पे चलता नहीं कभी कोई ऐसे रस्ते भी हैं कहीं जाते चल जुदाई तिरी ज़रूरत थी छोड़ तफ़्सील में नहीं जाते