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बरसो कि चाहत को संजोये रक्खा हूँ मै ,
टूट कर चाहा है तुझे झूठ नहीं कहता हूँ मै ]
तुम्हारे प्यार को हमने अपना गरूर समझा ,
इसीलिए तुमपर नाज़ करता रहता हूँ मै ]]
तेरे बज्मे चिरागा में हजारो ख्वाहिशे जलती होंगी ,
कभी आंसू कभी आहे कभी नगमे देखता हूँ मै ]
मेरे प्यार पे एतबार नहीं इसलिए डरती हो ,
क्या तेरी नज़र में एतबार के काबिल लगता नहीं मै