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मत पूछो ये मुझसे कि कब याद आते हो ..?जब जब सांसें चलती है बहुत याद आते हो ...!!नींद में पलकें होती है जब भी भारी..!!बन के ख्वाब बार बार नजर आते हो ..!!महफ़िल में शामिल होते है हम जब भी ..!!भीड़ में तन्हाईयों में हर बार नजर आते हो ..!!जब भी सोचा के फासला रखूँ मैं तुमसे ..!!जिंदगी बन के साँसों में समा जाते हो ..!!खुद को तूफान बनाने की कोशिश तो की ..!!बन के साहिल अपने आगोश में समा जाते हो ..!!चाहा ना था मैंने इसे पहेली में उलझाना ..!!हर उलझन का जवाब बन के उभर आते हो ..!!तुम्हारी कसम बहुत बहुत याद आते हो ..!!अब ना पूछना मुझसे कि कब कब याद आते हो ..!!