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मन में पतझड़,दिल में सहरा,आँख में बादल व्यथाहर जगह नए रंग में है प्यार की पागल व्यथाकह रही हैं रूह में उतरी हुयीं ये खुशबुयेंप्यार भीगा दिल जला तो हो गयी संदल व्यथाझील के पानी में जैसे कोई कंकड़ फेंक देजिन्दगी को दे गयी फिर इस तरह हलचल व्यथाऔर तो हर रास्ते पर शूल की तरह चुभीकिन्तु हरदम प्यार के पथ पर रही मखमल व्यथाऔर सारे लोग तो इक दिन पराये हो गएहर सफ़र में साथ थी तो बस मेरी चंचल व्यथा