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तुम्हारी चाहत है कि कोई गज़ल लिखूं तुमपर ।पर शब्द ही नहीं होठो पे होते कभी मयस्सर ॥देख कर तुमको दिल में अजीब सा होता है ।तुम्हारे लिये कोई गज़ल लिखने को दिल करता है ॥ये दिल बड़ा अजीब है कुछ भी समझ पाता नहीं ।तुम्हारी याद आते ही कूछ भी याद रहता नहीं ॥जब तुम हँसती हो लजाती और शरमाती हो ।घटाएँ प्रेम की मेरे बंजर से दिल पे बरसाती हो ॥कहने को है बहुत मगर होंठ जुम्बिश कर जाते है ।तुम्हारी याद आते ही न जाने क्यों मौन हो जाते है ॥