ये चारों तरफ बेन्तेहाँ भीड़फिर भी इस बड़े से शहर मेंकोई ही होता है अपना,वरना तो यहाँ सपना भीकभी नहीं होता है, अपनायहाँ आसमाँ से बरसता है, धनअगर तू लपक सके तो लपकयही है तेरे रिश्तों नातो काइस शहर का मजबूत जोड़भागते हुए लोग पहुँचते कहीं नहींफिर भी निरंतर भागते और भागतेबस यहाँ भाग-दौड़ का निरंतर ओलंपिकये शहर है, हाँ ये मुंबई है ,,,,,,,,,,,